Saturday, September 16, 2017

कदर



अकेला हुआ तो क्या
चलो फिर से उड़ता हूं मैं
दिल में ज़रा सा डर भी है
दिल ज़रा बेफिक्र भी है
तलाश है मुझे तेरी
और खुद की कदर भी है!












No comments:

चांद का चक्कर !

ये जो तारे ठिठुऱते रहे ठण्ड में रात भर !   ये    सब चांद का चक्कर है !   ये जो आवारा बदल तलाशते रहे घर !   ये   सब...