हज़ार नियामते होती है मगर जीतने लगती है एक कमी!
धीरे धीरे मर रहे होते है सपने
फिर ज़रूरी नहीं लगता कोई जाने या समझे! शरीर का ख़त्म होना हादसा है! सुर्खिया बन जाता है! पर कमज़ोर पड़ती ज़िंदगी हर रोज़ किश्तों में ख़त्म होने से बचने के लिए चुपचाप तलाश करती कोई रास्ता है !