अगर ज़िंदगी दे
मौका मुझे तो माँ की
गोद में सर रख कर
लेटना चाहती हूं.
दूर गांव में
खुले गगन तले तारो को
ओढ़ कर सोना चाहती हूं.
छत पर बैठ
कर चाँद से खूब सारी
बातें करना चाहती हूं
शाम ढले पगडण्डी
होते होते खेतो
में घूमना चाहती हूं
वापिस अपने स्कूल
जा कर सुबह की प्रार्थना
गाना चाहती हूं
गुनगुनाती हैं माँ रसोई
में...
मैं चुपचाप बैठ कर सुनना चाहती हूं
गुलमोहर के पेड़ लगे
है दोनों तरफ उस सड़क पर
मैं वह जाकर साइकिल चलना
चाहती हूं!