चटक सुनहरा रंग पहन कर मटक मटक कर आती है धुप
अलसुबह खिड़की से उतर कर
मोज़े आलसी बहुत हो चले है कि सुस्ताने से फुर्सत
नहीं मिलती आजकल
स्वेटर, दस्ताने मौका ढूंढते है कि कभी आकर पहन ले मुझे
बर्फ भी नहीं पड़ी इस बार, कि हवाए हड़ताल पर है!
बस दिसंबर का कैलेंडर अपनी रफ्तार पर है!
लगता है दूर कहीं इत्मीनान से रजाई ओढ़ कर सो रही है सर्दिया!
अलसुबह खिड़की से उतर कर
मोज़े आलसी बहुत हो चले है कि सुस्ताने से फुर्सत
नहीं मिलती आजकल
स्वेटर, दस्ताने मौका ढूंढते है कि कभी आकर पहन ले मुझे
बर्फ भी नहीं पड़ी इस बार, कि हवाए हड़ताल पर है!
बस दिसंबर का कैलेंडर अपनी रफ्तार पर है!
लगता है दूर कहीं इत्मीनान से रजाई ओढ़ कर सो रही है सर्दिया!