बडे अजीब किस्म
के लोग जान पाते है
अम्मी अक्सर कहा करती
थी...
फरेब नहीं करते कभी किसी
से
तकलीफ देना गलत बात है, जन्नत में दर्ज़ा नहीं
मिलता...
पर जब मैं घर की बाहर
की दुनिया में कदम रखता हूं
तो बड़े अजीब किस्म के
लोग जान पड़ते हैं
दूसर को तकलीफ
देने की इंतिहा
हैं ..दिल के रुआब
भी अलग जान पड़ते हैं..
अगर मैं आज की
बात करता करू।
मैं तनहा,लहू से लतपथ
पड़ा सिसक रहा हूं ..
चंद कदम दूर मेरे हमकदम
तड़प रहे है आस पास.बड़ी दश्तनुमा फ़िज़ा बह रही हैं...
आंसू रुकने का
नाम नहीं ले रहे..
कुछ लोग अपनों
को खोने से ग़मज़दा हैं
कुछ लोग के
पुराने ज़ख़्म ताज़ा
हैं
कुछ मुलाज़िम उबल रहे हैं गुस्से
में..
कुछ लोग तकलीफ
बयां नहीं कर पा रहे..
मेरी अम्मी खामोश
हैं, शायद वो यकीन करना
बंद कर दे! खुदा पर, ज़न्नत
पर, नेकदिली पर
अब मैं हिस्सा
नहीं रहा इस खुदगर्ज़ दुनिया का..
सफ़ेद लिबास में
ले जा रहे हैं मुझे
मैं नन्ही उगलिओ
से ताबूत खोलना
चाहता हूं,अम्मी से
बातें करना चाहता
हूं
स्कूल के बारे
में बताना चाहता
हूं..
बड़ी अलग की
तरह की बातें
हो रही हैं..
कुछ लोग दबी
आवाज़ में बोल रहे है
जिहाद जैसे शब्द..जो नहीं
समझ आ रहे मुझे
मैं, सुन रहा हूं चुपचाप..
वो बोल रहे हैं.. आज फिर आयेंगे..
इस्लाम का वास्ता देने..
जिहाद का मतलब बताने..
आज मेरे जनाजे में शामिल होंगे
मेरे शहर के अजीब लोग..
2 comments:
Heart Touching Lines..
Thank you.
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