अब खिड़कियों से झांकती है
धूप हवा रोशनी को तरसती है ..
अंदर शोर बहुत हैं..बाहर लफ्ज़ खोजती हैं..
शीशे की बिल्डिंग में बंद है खूबसूरत जिंदगी!
ये जो तारे ठिठुऱते रहे ठण्ड में रात भर ! ये सब चांद का चक्कर है ! ये जो आवारा बदल तलाशते रहे घर ! ये सब...
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