Sunday, August 25, 2013

जूनून

तू ही इश्क तू जूनून मेरा
तू ही मेरे जीने की वज़ह है
रुलाने के लिए तो बहुत कुछ है
इस दुनिया मे…
पर तू तो मेरे हंसने की वजह है
जब वो सारी दलीलें देकर चुप हो जाएगा
तब मैं बोलना शुरू करूंगा
गर उसे लगती मेरी चुप्पी बे वजह है!
पा तो तुझे लुगा,खुद को खो कर भी
बस,आजकल ख़फ़ा मुझसे मेरा खुदा है!
ज़रा थम सा गया हूं मैं,पर भूलुंगा नही तुझे
तू तो मेरी रग रग में बहता नशा है!
अभी रात की तरह खामोश हूँ मैं
सहर होते ही चल दूंगा..
फिर न रुकुंगा,फिर न थमूंगा
यही शायद उसकी भी रज़ा है!


1 comment:

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