मैं एक शाम के लिए
तुम्हारे पास ठहर जाना चाहती हूं , माँ
नही देखना चाहती अखबार खून से सने हुए
न ही देखना चाहती हूं खबरे
झूठी सच्ची अफवाहे उड़ते हुए
मैं एक शाम के लिए
तुम्हारे पास ठहर जाना चाहती हूं
सुनना चाहता हूं वो धुन , माँ
न ही देखना चाहती हूं खबरे
झूठी सच्ची अफवाहे उड़ते हुए
मैं एक शाम के लिए
तुम्हारे पास ठहर जाना चाहती हूं
सुनना चाहता हूं वो धुन , माँ
जो अक्सर गुनगुनाती हो तुम खाना बनाते वख्त
बाते करना चाहता हूं उन सपनो की
जो सपने मैं बचपन में देखा चाहती था
बस एक शाम के लिए
मैं अपने सारे दुख सुख सांझे करना चाहती हूं
खाने का हर कौर स्वाद लेकर खाना चाहती हूं
मौसम के बदलते मिजाज को महसूस करना चाहती हूं
सुकून की चादर ओढ कर सो जाना चाहती हूं, माँ
बाते करना चाहता हूं उन सपनो की
जो सपने मैं बचपन में देखा चाहती था
बस एक शाम के लिए
मैं अपने सारे दुख सुख सांझे करना चाहती हूं
खाने का हर कौर स्वाद लेकर खाना चाहती हूं
मौसम के बदलते मिजाज को महसूस करना चाहती हूं
सुकून की चादर ओढ कर सो जाना चाहती हूं, माँ
थक हार जाता हूं रोज़मर्रा ज़िदंगी से
बस एक शाम के लिए
मैं खुद से मिलना चाहती हूं!
बस एक शाम के लिए
मैं खुद से मिलना चाहती हूं!