ये जो तारे ठिठुऱते रहे ठण्ड में रात भर!
ये सब चांद का चक्कर है !
ये जो आवारा बदल तलाशते रहे घर !
ये
सब चांद का चक्कर है !
यँहा एक जोड़ी आँखे एक पल भी ना सोई
खूब रोई , कभी तरसी ,कभी फिर से बरसी
ये सब चांद का चक्कर है !
ना उसने फ़रियाद सुनी, न कोई तस्ल्ली दी!
बिख़रे बिख़रे टुकड़े समेटते निकल गई रात
ये सब चांद का चक्कर है !
6 comments:
wow 😍
Gazab, ❤️
Gazab ❤️
Nice 👍👏😊
बहुत ही खूबसूरत!!👌😊
Waah
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