Wednesday, July 18, 2018

मेरा रब




                                               
     हो सकता है वो लकीरें हाथ में नही मेरे
    उसीने दे ये अमीरी, उसी की ये फ़क़ीरी.
    कब मैं उसकी नज़र में उसके लायक बनुगा
    वही सब जानता है..
    मेरा रब है,जो सब जानता है!


   मेरे सारे सपने, मेरी सारी तकलीफे
   मेरे सजदे,मेरे सारे गुनाह
   मेरी सब शिकायतें,                                      
   देकर दलीले जब मैं चुप हो जाता हूं
   तब वो मेरे अल्फ़ाज़ लफ्ज़ दर लफ्ज़ जानता  है!
   मेरा रब है,जो सब जानता है!

    मुझे नहीं समझ,मैं हार गया 
    या फिर जीत गया...जंग ज़िंदगी की
    बस अपनी नेकिया-गुस्ताखियाँ कर दी             
    उसी के हवाले
    सुना है सबके हिसाब-किताब वो बेहतर जानता है!
     मेरा रब है,जो सब जानता है!
                                                  







No comments:

चांद का चक्कर !

ये जो तारे ठिठुऱते रहे ठण्ड में रात भर !   ये    सब चांद का चक्कर है !   ये जो आवारा बदल तलाशते रहे घर !   ये   सब...